टाटा जमशेदपुर। झारखंड विधानसभा में बना आदिवासियों के लिए नया कानून। अब नहीं रहेगा आदिवासी गांव समाज में युग युग से चले आ रहे प्रथा और अंधविश्वास। झारखंड विधानसभा में पारित मॉब लिंचिंग कानून के तहत झारखंड में कुछ नई कानून आदिवासियों के लिए लागू होने वाली है। इस कानून के तहत आदिवासियों का कुछ नियम को अंधविश्वास या अपराध माना जाए गा। इस आदिवासियों के नए नियम को आदिवासी सेंगेल अभियान के संयोजक बिमो मुर्मू ने समर्थन दिया है। झारखंड विधानसभा में पारित मॉब लिंचिंग कानून का आदिवासी सेंगेल अभियान (एएसए) ने समर्थन किया है. अभियान के संयोजक बिमो मुर्मू ने बताया कि इससे आदिवासी गांव-समाज में युग युग से चले आ रहे डंडोम (जुर्माना), बारोन (सामाजिक बहिष्कार) और डान पनते (डायन प्रताड़ना) जैसे अन्याय, अत्याचार और शोषण के दुर्भाग्यपूर्ण क्रियाकलापों पर लगाम लग सकता है.

उन्होंने कहा कि उक्त कानून के लागू होने से आदिवासी परंपरा के नाम पर जारी असंवैधानिक और अमानवीय कार्रवाईयों का खात्मा हो सकता है. मॉब लिंचिंग कानून की उपलब्धि आदिवासी गांव- समाज को सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकता है. दूसरी ओर कानून बनने की खुशी में आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने आज शुक्रवार को करनडीह में लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया. इस मौके पर कोल्हान जोनल हेड जूनियर मुर्मू, कोल्हान सेंगेल परगना सीताराम माझी, डॉक्टर सोमय सोरेन, अधिवक्ता बिरसा मुर्मू, छीता मुर्मू, प्रो.बहादुर हांसदा,सोमाय मुर्मू, अर्जुन मुर्मू, भगीरथी मुर्मू, बिमो मुर्मू, किसुन हांसदा, पूर्णिमा टुडू, सनत बास्के आदि उपस्थित थे.